गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु :गुरुर्देर्वो महेश्वर: |
गुरु साक्षात परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नम:||
गुरु पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास की पूजा की जाती है | गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है|
इस साल देशभर में दो दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी |
गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त ?
गुरु पूर्णिमा 23 जुलाई शुक्रवार को सुबह 10:43 से शुरू होकर शनिवार (24 जुलाई) को सुबह 8 :06 तक है |
क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?
मान्यता है कि आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को ही वेदों के रचयिचा महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस पर सदियों से गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है | इस दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।
गुरु पूर्णिमा की कथा
लगभग 3000 ई. पूर्व महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। वेदों के रचयिता महर्षि व्यास जी के सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। वेद, पुराणों और उपनिषद की रचना करने वाले वेद व्यासजी को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन व्यासजी के चित्र का पूजन और उनके द्वारा रचित ग्रंथों का अध्ययन करते हैं।
ऐसे करें पूजा
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन पान के पत्ते, नारियल,कर्पूर,लौंग,इलायची, मोदक इन सभी सामग्री का पूजन में इस्तेमाल करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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