Radha Ashtmi 2021: पापों से मुक्ति दिलाएं राधा अष्टमी का व्रत, जाने महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

 

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा रानी का जन्म होता है | भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का प्रेम अनंत है | दो शरीर पर एक दिल, एक आत्मा, भगवान श्री कृष्ण को पाने के लिए राध रानी को प्रसन्न करना होगा | भगवान श्री कृष्ण से पहले राधा रानी का नाम लिया जाता है राधे राधे, राधे कृष्ण 


इस साल 14 सितंबर को राधा अष्टमी मनाई जाएगी | राधा रानी की पूजा के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी है | कृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूम धाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है | इस दिन पृथ्वी पर राधा रानी ने जन्म लिया था | उनके जन्मोत्सव की खुशी में  


राधा अष्टमी व्रत का महत्व


राधा अष्टमी के दिन जो भी मनुष्य राधा रानी का व्रत और पूजा करते हैं उनसे माता राधा रानी तो प्रसन्न होती है, साथ ही भगवान श्री कृष्ण भी अपना आशीर्वाद देते हैं,  राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है |  

  • राधा अष्टमी कब की है ?

हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल  राधा अष्टमी का त्यौहार भाद्रपद मास  के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है | इस साल राधा अष्टमी की तिथि 13 सितंबर को शुरू होकर 14 सितंबर दोपहर 1 बजे खत्म होगी |


राधा अष्टमी का व्रत करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है | जो मनुष्य राधा रानी को प्रसन्न कर लें, उनसे श्री कृष्ण स्वयं ही प्रसन्न हो जाते हैं | राधा अष्टमी का विशेष महत्व है | इस व्रत से  विवाहित महिलाओं को  अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति जैसे मनो वंछित फल  मिलते हैं  | इस व्रत को रखने से जीवन से सुख समृद्धि बढ़ती है | 


 भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का मिलन तो बस एक बहाना है, दुनिया को प्रेम का सही अर्थ जो सिखाना था | इस संसार में जो प्रेम आया है, वो राधा और कृष्ण के अवतरण से आया है | उनके रास, रासलीला, नटखपन ये सब एक बहाना था | असल में लोगों को प्रेम जो सिखाना था |


राधा अष्टमी पूजा विधि

  • राधा अष्टमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा ग्रह में बैठे | 
  • राधा रानी की विशेष पूजा करें, ध्यान करें |
  • कथा पढ़े और आरती करें |
  •  इस दिन पूरे दिन उपवास रखें,सिर्फ एक समय भोजन करें

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