करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान के जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए व्रत करती है । जिन महिलाओं के कोई संतान नहीं है, वह बच्चे की कामना से अहोई अष्टमी का व्रत करती है | करवा चौथ की तरह ही अहोई अष्टमी का व्रत पूरे उत्तर भारत में काफी प्रसिद्ध है।
इस दिन माताएं मां पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा अराधना करती हैं और अपने संतान की लंबी उम्र और दीर्घायु के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं |
शाम के समय आकाश में तारे देखने के बाद अर्घ्य देकर महिलाएं व्रत खोलती हैं। इस पोस्ट में जानिए अहोई अष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और आरती
अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
(Ahoi ashtami subh muhurat)
अहोई अष्टमी का त्यौहार 28 अक्टूबर 2021 बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा |
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त (ahoi ashtami puja muhurat) – 5 बजकर 39 मिनट पर शुरू होकर शाम 6 बजकर 56 मिनट तक है |
पूजा विधि (Ahoi ashtami Puja vidhi )
इस दिन महिलाएं सुबह स्वाति से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें | घर के मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। आप चाहें तो मार्केट से अहोई अष्टमी माता की पूजा का पोस्टर लाकर उसे दीवार पर चिपका लें । अब एक मटके में पानी भरकर, उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और मटके को ढक दें। अब ढक्कन पर सिंघाड़े रखें।
फिर माता अन्य महिलाओं के साथ मिलकर अहोई माता की पूजा करें और कहानी पढ़े
इस दिन माताएं पुआ, पुडी बनाती है और एक ही समय भोजन करती है |
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