Dhanteras katha: भगवान विष्णु ने क्यों दिया मां लक्ष्मी को श्राप ?

 धनतेरस की कथा (Dhanteras  katha)

Dhanteras  katha: भगवान विष्णु ने क्यों दिया मां लक्ष्मी को श्राप ?


 भगवान विष्णु ने क्यों दिया मां लक्ष्मी को श्राप (12 साल तक रखा दूर) ? 

एक दिन भगवान विष्णु मृत्यु लोक में विचरण करने के लिए लक्ष्मी सहित भूमण्डल पर आये | कुछ देर बाद लक्ष्मी से बोले- मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ, तुम उधर मत आना| यह कहकर जैसे ही भगवान चलने लगें, लक्ष्मी जी उनके पीछे पीछे निकल पड़ी | कुछ ही दूर पर सरसों का खेत दिखाई दिया |उसके बाद रूख तोड़कर चोसने लगी | तत्क्षण भगवान लौट आये और यह देखकर लक्ष्मी जी पर क्रोधित हुए और शाप दिया कि जिस किसान का खेत है| 12 वर्ष तक उसकी सेवा करो |ऐसा कहकर भगवान क्षीरसागर चले गए और लक्ष्मी ने किसान के यहाँ जाकर उसे धन धान्य से पूर्ण कर दिया |

12 साल तक मां  लक्ष्मी क्यों रही किसान के घर  

 तत्पश्चात् 12 वर्ष बाद लक्ष्मी जी जाने के लिए तैयार हुई किंतु किसान ने रोक लिया | भगवान जब किसान के यहां लक्ष्मी जी को लेने आए, तो किसान ने लक्ष्मी जी को जाने नहीं दिया | तब भगवान बोले - तुम परिवार सहित गंगा जाकर स्नान करो और इन कौड़ियों को भी जल में छोड़ देना | जब तक तुम नहीं लौटोगे , तब तक मैं नहीं जाऊगा |


किसान ने ऐसा ही किया, जैसे ही उसने गंगा में कोढ़ियां डालीं वैसे ही गंगा में से चार चतुर्भुज निकले और कोरिया लेकर चलने को उत्तर हुए | जब किसान ने ऐसा आश्चर्य देखा तो गंगा जी से पूछा कि - ये चार भुजाएँ किसकी थी? गंगा जी ने बताया कि हे किसान वे चारों हाथ मेरे ही थे, तूने जो कोढ़ियां मुझे भेंट की है, वे किसकी भेंट की हुई है? किसान बोला दो सज्जन व्यक्ति आए हैं, उन्होंने ही दी है |


गंगा जी बोली- तुम्हारे घर जो स्त्री आई है वह लक्ष्मी है और पुरुष विष्णु भगवान हैं | तुम लक्ष्मी को न जाने देना, नहीं तो पुनः उसी भांति निर्धन हो जाओगे | यह सुन जब वह घर लौटा तो भगवान से कहने लगा, लक्ष्मी मां यहाँ से कही नहीं जाएगी |भगवान ने क ई बार कहा पर किसान मना कर देता 


 तब भगवान ने किसान को समझाया कि इनको मेरा शाप दिया, जो कि बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही है | फिर लक्ष्मी चंचल है | इनको बड़े बड़े नहीं रोक सके | किसान ने हठपूर्वक पुनः कहा नहीं मैं लक्ष्मी जी को कहीं नहीं जानें दूंगा | इस पर लक्ष्मी जी ने कहा - कि हे किसान  

 उस समय तुम मेरी पूजा करना पर मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी | किसान ने कहा- ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगी इतना कहा और सुन लेने के बाद लक्ष्मी जी दशों दिशाओं में फैल गई, भगवान देखते ही रह गया एक, दूसरे दिन किसान ने लक्ष्मी जी के कथनानुसार पूजन किया | उसका घर धन धान्य से पूर्ण हो गया | इस भांति वह हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने लगा | उस किसान को ऐसा करते देखकर कितने ही लोगों ने पूजा करना शुरू कर दिया |


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