एक आंवलिया राजा था जो बहुत दानी था,वह प्रतिदिन एक मन सोने के आंवले दान करता था और इसके बाद जीमता था|
एक दिन बेटे बहुओं ने विचार किया यदि रोज राजा इतने आंवले का दान करेंगे तो हमारा सारा धन जल्दी खत्म हो जाएगा इसलिए इनका दान बंद करा देना चाहिए |
एक पूत्र आया और राजा से बोला आप तो सारा धन लुटा देंगे|
इसलिए आप आंवले का दान करना बंद कर दीजिए तब राजा और रानी उजाड़ में जाकर बैठ गए और वह आंवले का दान नही कर सके इसलिए उन्होंने कुछ भी नहीं खाया |
तब भगवान ने सोचा अगर हमने राजा रानी का साथ नहीं दिया तो दुनिया में हमें कोई नहीं मानेगा तब भगवान ने कहा तुम उठो तुम्हारी सब कुछ पहले जैसा कर दिया है देखो तुम्हारी रसोई पहले जैसी है और आंवले का वृक्ष भी लगा हुआ है |
तुम दान करो और जीम लो|तब राजा रानी ने उठकर देखा उनके पहले जैसा राज पाट हो गया है और सोने के आंवले वृक्ष पर फैले हुए है|
तब राजा रानी सवा मन आंवले का दान करने लगे|उधर बहु बेटे से धर्म अन्नदाता के बैर पड़ गया|
आसपास के लोगों ने कहा जंगल में एक आंवलिया राजा है तुम उनके पास चले जाओ , तो तुम्हारा दुख दूर हो जाएगा |
वे दोनों वहां पर चले गए|रानी अपने बेटे और बहू को पहचान गया ई और अपने पति से बोली इन लोगों सब काम तो कम करायेंगे और मजदूरी ज्यादा देंगे |
एक दिन रानी ने अपनी बहू को कहा कि मेरा सिर धोकर नहा दें|बहू सिर धोने लगी तो बहू की आंख से पानी निकलकर रानी की पीठ पर गिरा|
तब रानी बोली क्या हुआ मेरी पीठ पर आंसू क्यों गिर रहें हैं, तब बहू बोली मेरी सास की पीठ पर भी ऐसा ही एक मस्सा था मैंने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया|
तब सासु बोली हम ही है तेरे सास ससुर |तुमने हमें घर से निकाल दिया था पर भगवान ने हमारा सत्त रखा|
हे भगवान जैसे राजा रानी का सत्त रखा वैसे सबका रखना|कहते सुनते हुंकार भरते सारे परिवार का रखना|
इसके बाद विनायक भगवान की कहानी जरूर सुनें |
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