आंवला नवमी की कहानी : संतान प्राप्ति से जुड़ी आंवला नवमी की कथा

   




आंवला नवमी की दूसरी कथा 

संतान प्राप्ति से जुड़ी आंवला नवमी की कहानी

एक प्यापारी और उसकी पत्नी काशी में रहते थे|उनके कोई संतान नहीं थी, इसी कारण प्यापारी की पत्नी संतान न होने के कारण बहुत दुखी रहती थी और स्वभाव से भी बहुत चिड़चिड़ी थी |

‌एक दिन प्यापारी की पत्नी से किसी ने कहा अगर तुम्हें संतान चाहिए तो तुम किसी जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने दे दो | ऐसा करने से तुम्हारी संतान अवश्य होगी |उसने  ये सारी बातें अपने पति से कहीं, पर उसके पति को उसकी एक भी बात सही नहीं लगी | 


लेकिन प्यापारी की पत्नी को संतान पाने की ऐसी लालसा थी कि उसे कुछ अच्छा बुरा का पता ही नहीं चला और उसने एक जीवित बच्चे की बली भैरव बाबा के सामने दे दी, ऐसा करने से उसके शरीर पर क ई रोग हो ग ए| उसकी यह हालत देखकर प्यापारी को बहुत दुख हुआ उसने इसके पीछे का कारण पुछा तब उसकी पत्नी ने बताया मैंने एक बच्चे की बली दें दी |


यह सुनकर प्यापारी को बहुत गुस्सा आया|उसने अपनी पत्नी को बहुत मारा पीटा पर बाद में उसे उसकी दशा पर बहुत तरस आया |प्यापारी ने अपनी पत्नी से कहा तुम मेरी एक बात मानो तुम गंगा में जाकर स्नान करों और  पूरी श्रद्धा और भक्ति से पूजा करो |

प्यापारी की पत्नी ने ऐसा ही किया कि ई दिनों तक गंगा में जाकर स्नान किया और तट पर पूरी श्रद्धा से पूजा भक्ति की |

 इससे प्रसन्न होकर गंगा मैया ने  बुढ़ी औरत का वेश बनाकर उसे दर्शन दिए और कहा उसके शरीर के सारे रोग दूर करने के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन वृंदावन में आंवले का व्रत रख उसकी पूजा कर तो सभी कष्ट दूर हो जाएंगे |

‌प्यापारी की पत्नी ने पूरे विधि विधान से पूजा की और उसके सारे शरीर के कष्ट दूर हो  ग ए |

उसे सुंदर शरीर प्राप्त हुआ इसके साथ ही उसके एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई | तब से महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए आंवला नवमी का व्रत रखती है और आंवले की पूजा करती है |


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