Dev Uthani Ekadashi 2021: कब है देव उठनी एकादशी 14 या 15 ? जानें कैसे करें पूजा

 

Dev Uthani Ekadashi 2021: कब है देव उठनी एकादशी 14 या 15 ? जानें कैसे करें पूजा


कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी और  देव उठनी  प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नामों से भी जाना जाता है |इस बार देव उठनी एकादशी रविवार 14 नवंबर को मनाई जाएगी |


इस दिन भगवान विष्णु अवतार शालीग्राम का विवाह तुलसी जी से होता है | भगवान विष्णु इसी दिन चार माह की लंबी योग निद्रा से जागते  है | भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय होती है |


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले  हरिवल्लभा यानि तुलसी जी की पुकार सुनते हैं |


तुलसी  शालीग्राम विवाह के साथ ही सभी शुभ और मंगलमय कार्यों की शुरुआत हो जाती है | शादी विवाह, मुहूर्त आदि सभी कार्यों की |मान्यता है तुलसी शालीग्राम विवाह से वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है |
इतना ही नहीं इस दिन  तुलसी विवाह कराने से कन्या दान के सामान पुण्य मिलता है |


देव उठनी एकादशी की पूजा कैसे करें?

इस दिन शाम को जमीन को पानी से धोकर खडिया मिट्टी व गेरू से देवी के चित्र बनाकर सूखने के बाद उन पर एक रूपया, रूई, गुड़, मूली, बैंगन, सिगाड़े , बेर उस स्थान पर रखकर एक परात से ढक देतेहैं |

रात्रि में परात बजाकर, देव उठने के गीत तथा बधावा गाते है | बधावा  गाने के बाद दीपक से परात में बनी काजल सभी लगाते हैं | शेष काजल उठाकर रख देते हैं | आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शयन किए हुए देव इस कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठते हैं और सभी शुभ कार्य विवाह आदि इसी दिन से शुरू हो जाते हैं | यहाँ पूजा उसी स्थान पर करते हैं जहां होली, दीवाली इत्यादि की पूजा करते हैं |


कुछ स्त्रियाँ इसी एकादशी के दिन तुलसी और शालीग्राम के विवाह का आयोजन भी करती है | तुलसी और शालीग्राम विवाह पूरी धूमधाम से उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार सामान्य विवाह | शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जिन दम्पतियों के कन्या नहीं होती, वे तुलसी विवाह करके कन्या दान का पुण्य प्राप्त करते हैं |


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