इस साल छठ पूजा का त्यौहार 8 नवंबर यानि आज से मनाया जा रहा है | छठ पूजा का त्यौहार चार दिन तक मनाया जाता है | इस पर्व की शुरुआत उत्तर पूर्वी, बिहार और झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है |
छठ पर्व से करोड़ों लोगों की श्रद्धा और आस्था जुड़ी है | कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत की जाती है ।
छठ पूजा में महिलाएं लगभग 36 घंटे का उपवास रखती हैं। छठ के दौरान छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मईया सूर्य देव की मानस बहन हैं।
कार्तिक माह में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्य भगवान की विशेष रूप से पूजा की जाती है ताकि स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं से व्यक्ति
परेशान ना रहे |
जिन महिलाओं के संतान नहीं होती या जिनके संतान होकर बार बार मर जाती है | जिन महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती वह महिलाएं को छठ पूजा करने का विशेष फल मिलता है | छठ पूजा में सूर्य देव और छठी माँ की पूजा की जाती है |
छठ की पूजा विधि क्या है?
छठ पर्व चार दिनों तक चलता है | इसक पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को अरुण वेला में यह व्रत पूरा होता है |
इस दिन से स्वच्छता का खास ख्याल रखा जाता है |
पहले दिन उपवास में लौकी और चावल का सेवन करना चाहिए |
छठ पर्व के दूसरे दिन को "लोहंडा-खरना" कहा जाता है | इस दिन जिन लोगों का उपवास होता है वह केवल एक समय शाम के समय खीर का सेवन करते हैं |
खीर गन्ने के रस की बनी होनी चाहिए |
इस व्रत में नमक या चीनी का उपयोग नहीं होता है | तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है | साथ में विशेष प्रकार का पकवान "ठेकुवा" और मौसमी फल चढ़ाया जाता है. सूर्य देव को अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है |
चौथे दिन और आखिरी दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है | इसके बाद प्रसाद खाकर छठ व्रत का समापन होता है |
इस साल छठ पूजा की शुरुआत 8 नवंबर को नहाए-खाए से शुरू होगी | दूसरे दिन 9 नवंबर को खरना होगा | पहला अर्घ्य 10 नवंबर को संध्याकाल में दिया जाएगा और अंतिम अर्घ्य 11 नवंबर को अरुणोदय में दिया जाएगा |
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