अन्नकूट क्यों मनाया जाता है? Govardhan Kyu Manaya Jata Hai

 

अन्नकूट क्यों मनाया जाता है? Govardhan Kyu Manaya Jata Hai



 क्यों भगवान श्री कृष्ण को लगाया जाता है छप्पन भोग का प्रसाद ? कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों इसके पीछे की क्या कथा है, क्या कहानी है  ये हम आपको आज की इस आर्टिकल में बताएंगे |


एक दिन भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि पूरे बृज में तरह तरह के मिष्ठान बनाए जा रहे हैं | पूछने में ज्ञात हुआ कि यह सब वक्रासुर, संहारक मेघदेवता  गोपों ने यह वचन सुनकर कहा कि कोटि कोटि देवताओं के राजा की इस तरह से आपको निंदा नही करनी चाहिए | कृष्ण ने कहा इंद्र में क्या शाक्ति है जो पानी बरसाकर हमारी सहायता करेगा | इंद्र से शाक्ति शाली और सुंदर तो यह गोवर्धन पर्वत है , जो वर्ष का मूल कारण है |गोवर्धन पर्वत की हमें पूजा करनी चाहिए | भगवान श्री कृष्ण ने वाग्जाल में फंस कर सभी ब्रजवासियों ने चारों और धूम मचा दीं | तत्पश्चात नंद जी ने ग्वाल गोपांगनाओ सहित एक सभा में कृष्ण से पूजा से तो दुर्भिक्ष उत्पीड़न समाप्त होगा | चौमासे के सुंदर दिन आएंगे मगर गोवर्धन पूजा से क्या लाभ होगा? उत्तर में श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन की भूरि भूरि प्रशंसा की तथा उसे गोप गोपिका की आजीविका का एक मात्र सहारा सिद्ध किया | भगवान की बात सुनकर समस्त ब्रजमंडल बहुत प्रभावित हुआ तथा अपने अपने घर से लाकर सुमधुर मिष्ठान पकवानों सहित पर्वत तराई में कृष्ण द्वारा बताई गई विधि से गोवर्धन की पूजा की | भगवान की कृपा से ब्रजवासियों द्वारा अर्पित समस्त पूजन साम्रागी को गिरिराज जी ने स्वीकार करते हुए खूब आशीर्वाद दिया | सभी जन अपना पूजन सफल समझकर प्रसन्न हो रहे थे, तभी नारद इंद्र महोत्सव देखने की इच्छा से ब्रज आ गए | पूछने पर ब्रज नागरिकों ने बताया कि श्री कृष्ण की आज्ञा से इस वर्ष इंद्र महोत्सव समाप्त कर दिया गया है |उसके स्थान पर गोवर्धन पूजा की जा रही है | यहाँ सुनते ही नारद उल्टे पांव इन्द्र लोक गए तथा खिन्न मुखमुद्रा में बोले देवराज! तुम महलों में आनंद से नींद ले रहे हो, वहाँ बृजमंडल में देखो तुम्हारी पूूजा बंद करके गोवर्धन की पूजा  की जा रही है|इस बात पर  इंद्र अपनी मानहानि समझकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर प्रलय कालिक मूसलाधार वर्षा से पूरे गांव को तहस नहस कर दें |

पर्वतराज प्रलयकारी बादल ब्रज की ओर उमड़ पड़े | इंद्र के आदेश पर ब्रज में ताबड़तोड़ बारिश होने लगी  मौसम ने भयंकर रूप ले लिया, इतनी तेजी से मौसम में बदलाव को देखकर ब्रजवासी घबरा गए और भगवान श्री कृष्ण की शरण में पहुंच गए |


श्री कृष्ण ने सांत्वना देते हुए कहा - तुम लोग गाय सहित गोवर्धन की शरण में जाओ | वह तुम्हारी रक्षा करेगा | इस तरह से समस्त ग्वाल बाल गोवर्धन की तराई में पहुंच गए | भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठा लिया और सात दिन तक गोप गोपियां उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे| भगवान की कृपा से बृजवासियो को बारिश की एक बूंद भी नहीं लगी | इससे इंद्र को बड़ा आश्चर्य हुआ और यह बात जानकार कि धरती पर विष्णु भगवान के अवतार श्री कृष्ण हैं, अपने घमंड और ईष्या को त्याग कर वह ब्रज गया और भगवान श्री कृष्ण के चरणों में गिरकर अपनी मूर्खता का महान पश्चाताप किया | सांतवे दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर इसी भांति प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी | तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और इसी खास दिन पर अन्नकूट बनाया जाता है और भगवान का भोग लगाया जाता है |


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