Karwa chauth vrat katha : करवा चौथ व्रत कथा | वृत करने वाली महिलाएं व्रत कथा जरूर पढ़ें

 

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है | इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती है | इस दिन महिलाएं सोलह श्रंगार करती है, पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती, बिना पानी पिएँ निर्जला व्रत रखती है | शाम को करवा चौथ  व्रत कथा पढ़ती है और रात को चंद्रमा के दर्शन करके अपना व्रत खोलती है |


प्राचीन काल में द्विज नामक के सात पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या थी | वीरावती  का पहला करवा चौथ था, भूख से व्याकुल वीरावती चक्कर खाकर गिर पड़ी, ये देखकर वीरावती  के सातों भाई दुखी हो गया ए और बहन की यह हालत देखकर रोने लगे | भाईयों ने बहन का व्रत जल्दी खुलवाने के चक्कर में नकली चांद निकाला  और जल से मुंह धुलाकर एक भाई वट के वृक्ष पर चढ़कर चलनी पर दीपक दिखाकर अन्य भाई कहने लगे बहन  चंद्रमा निकल आया है | वीरावती अपनी भाभियों से कहती है, भाभी चलो चंद्रमा निकल आया है, भाभी कहने लगी तु ही जा तेरा चंद्रमा निकला है हमारा तो रात को निकलेगा |

उस अग्नि रूप को चंद्रमा समझकर वीरावती उस नकली  चंद्रमा को अर्घ दिखाकर अपना व्रत खोलने लगी और भोजन के लिए बैठ ग ई |

पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक हुई, तीसरे कौर में ससुराल से फोन आया | ससुराल में जाकर देखा उसका पति मरा पड़ा है, संयोग से वहां  इंद्राणी आई और उन्हें देखकर वीरावती विलाप करके रोने लगी और बोली हे मां यह किस अपराध का मुझे फल मिला है |

प्रार्थना करते हुए बोली मेरे पति को जिंदा कर दो | इंद्राणी ने कहा कि तुमने करवा चौथ का व्रत बिना चंद्रमा को अर्घ दिए खोलने की कोशिश की यह उसी का फल मिलता है |

अत: अब तुम बारह माह तक करवा चौथ का व्रत श्रद्धा व भक्ति पूर्वक करो तुम्हारा पति पुनः जीवित हो जाएगा | इंद्राणी के वचन अनुसार वीरावती ने बारह माह तक चौथ और करवा चौथ का व्रत भक्ति भाव और श्रद्धा से किया | और बारह माह बाद उसका पति जीवित हो जाता है |

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