बैकुंठ चतुर्दशी 2021 : बैकुण्ठ चतुर्दशी की कहानी

 बैकुण्ठ चतुर्दशी




कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता | इस तिथि को भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करके तथा स्नान आचमन कराके बाल भोग लगाएं | तत्पश्चात प्रसन्न मन से धूप, दीप, पुष्प, चंदन आदि सुगंधित पदार्थों से आरती करें |


एक बार नारद जी बैंकुण्ठ में भगवान विष्णु के पास गये |विष्णु जी ने नारद जी से आने का कारण पूछा | नारद जी बोले-" भगवन् | आपको पृथ्वी वासी कृपा निधान कहते हैं | किंतु इससे तो आपके भक्तों ही तर पाते हैं |साधारण नर नारी नहीं | इसलिए कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे साधरण नर नारी भी आपके कृपा के पात्र बन जाएं | इस पर भगवान बोले," नारद  कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को जो नर नारी व्रत का पालन करता हुए भक्ति पूर्वक मेरी पूजा करेंगे उनको स्वर्ग की प्राप्ति होगा | इसके बाद भगवान विष्णु ने जय विजय को बुलाकर आदेश दिया कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुलें रखें जायें |भगवान ने यह भी कहा इस दिन जो भी मनुष्य किंचित मात्र भी मेरा नाम लेकर पूजा करेगा उसे बैकुण्ठ धाम प्राप्त होगा |


बैकुण्ठ चतुर्दशी की कहानी


 महाभारत का युद्ध होने पर जिस समय भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतिक्षा में शरशय्या पर शयन कर रहे थे उसी समय श्री कृष्ण पाचों पांडवों को साथ लेकर  उनके पास गये | 

उपयुक्त अवसर जानकार युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से प्रार्थना की कि आप हमें राजधर्म संबंधित उपदेश देने की कृपा करें |तब भीष्म पितामह ने पांचों दिन तक राजधर्म,वणधर्म ,मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया |उनका उपदेश सुनकर श्री कृष्ण संतुष्ट हुए और बोले- पितामह! आपने कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है, उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है | मैं इसकी स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूँ | जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोग कर अंत में मोक्ष प्राप्त करेंगे |

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