सावन सोमवार 2021 : Sawan Somvar Vrat Katha | सावन सोमवार व्रत की कथा | सावन सोमवार व्रत कथा विधि

 


सोमवार का व्रत जो भी स्त्री करती है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, भगवान शंकर और माता पार्वती के आशीर्वाद से उसक जीवन में  सुख, समृद्ध और खुशहाली आती है |


सोमवार के व्रत में मां पार्वती और शिव शंकर की पूजा की जाती है |सोमवार का दिन महादेव का प्रिय है |

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सावन सोमवार व्रत कथा विधि (Sawan Somvar Vrat katha Vidhi)

सोमवार का व्रत भोले बाबा और माता पार्वती को खुश करने के लिए किया जाता है|

सोमवार के दिन प्रात काल स्नानदि से निव्रत होकर, मंदिर में जाकर भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाएं|


इस व्रत में केवल एक ही समय भोजन करें और भोजन में नमक नहीं खाएं |

 सोमवार का व्रत तीसरे पहर यानि शाम तक रहता है |

मंदिर में भोलेबाबा और माता पार्वती की पूजा करें, उसके बाद व्रत कथा पढ़े और आरती करें|

सोमवार का व्रत हो, या सोलह सोमवार या त्रदोष सोमवार सभी की विधि एक जैसी है|

शाम को कीर्तन करें, भगवान शिव का भजन करें |




 सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha)


 प्राचीन काल की बात है, एक साहुकार था  वह शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था, उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन संतान न होने के कारण वह हमेशा  दुखी रहता है | रोजाना शिव जी के मंदिर जाता था और दीपक जलाता था, और प्रभु की भक्ति करता था| उसकी भक्ति को देखकर माता पार्वती शि व जी से बोली प्रभु साहुकार आपका अनन्य भक्त है, आपको उसकी मनोकामना पूर्ण करनी चाहिए| 


शिव जी ने कहा हे पार्वती साहुकार के कोई पुत्र नहीं था, इस कारण वह बहुत दुखी रहता है | माता पार्वती ने शिव जी से आग्रह किया प्रभु आप तो अंतर्यामी है, आपको साहुकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान देना चाहिए| शिव जी ने कहा पार्वती इसके भाग्य में पुत्र का सौभाग्य नहीं है और अगर मैं इसे पुत्र देता हूँ तो उसकी आयु केवल 12 वर्ष ही होगी| माता पार्वती ने साहुकार को पुत्र देने के लिए आग्रह किया, माता के बार बार आग्रह करने पर भोलेनाथ ने साहुकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया साथ में यह भी कहा इसकी आयु सिर्फ बारह वर्ष तक ही होगी|


ये सारी बातें साहुकार सुन रहा था, उसे यह जानकर न खुशी हुई और न दुख | वह पहले की भांति शिव जी की पूजा करता|


भगवान के आशीर्वाद से साहुकार के एक सुंदर पुत्र पैदा हुआ| घर में खूब खुशियाँ मनाई गई, लेकिन साहुकार पुत्र की 12 वर्ष की आयु जान न तो खुश हुआ और यह बात का जिक्र किसी से नहीं किया|


साहुकार का पुत्र जब 11 वर्ष का हुआ, तो  साहुकार की पत्नी ने उसके विवाह की इच्छा जताई, साहुकार ने कहा अभी उसे  पढ़ने के लिए काशी भेजना है | साहुकार ने  बालक के मामा को बुलाया,और कहा कि इसे काशी पढ़ने के लिए ले जाओ, रास्ते में जहां रूको वहां यज्ञ कराते जाना और ब्राह्मणों को भोजन करवाना | ऐसा कहकर साहुकार ने मामा को बहुत सा धन देकर भेज दिया| 


साहुकार की आज्ञानुसार मामा ने जगह जगह यज्ञ किये और ब्राह्मणों को भोजन कराया| मार्ग में आगे बढ़ते हुए वे दोनों एक ऐसा गांव पहुंचे जहां की राजकुमारी का विवाह था, मामा ने वहां रूककर यज्ञ कराया | राजकुमारी से जिसका विवाह होने वाला था, वह एक आंख से काना था |


जब साहुकार के सुंदर पुत्र को पिता ने देखा, तो सोचा कि  विवाह कार्य क्यों न इसी से करा लें, लड़के के पिता ने मामा से इस बारे में बात की और इसके बदले उन्हें खूब सारा धन देने की कहा | मामा इस बात पर राजी हो गया और राजकुमारी का विवाह साहुकार के बेटे के साथ करा दिया | जाने से पहले साहुकार के बेटे ने राजकुमारी की चुन्नी पर लिख दिया तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ है, जिसके साथ तुम्हें भेजा जा रहा है, वह एक आंख से कांना  है |


जब राजकुमारी विदा हो रही थी, तो उसे अपनी चुन्नी पर लिखा पढ़ लिया और विदा होने से मना कर दिया, मेरे पति तो काशी पढ़ने गया एक है | अब वह बालक काशी पहुँच गया, उस दिन मामा ने यज्ञ रखा था और साहुकार की तबियत खराब थी, उसने मामा से अंदर आराम करने के लिए कहा, कुछ समय बाद जब मामा अंदर गया तो उसने देखा बालक की मृत्यु हो गई है, यह देखकर मामा बहुत दुखी हुआ पर उसने उस समय रोना पीटना शुरू नहीं किया पहले यज्ञ समाप्त कर, ब्राह्मण को भोजन कराकर मामा ने विलाप करना शुरू किया| 

वहीं से महादेव और माता पार्वती गुजर रहे थे, उसके रोने की आवाज सुनकर माता पार्वती बोली स्वामी ये किसके रोने की आवाज है, शिव जी बोले पार्वती ये उसी साहुकार के पुत्र के जिसको मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया था | तब पार्वती मां ने आग्रह किया स्वामी इस पुत्र को जीवन दान दे दो नहीं तो इसकी माता पिता रोते विलखते मर जाएंगे |



माता पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर भगवान शिव ने उसे जीवन दान दे दिया। लड़का ओम नम: शिवाय  कहते हुआ खड़ा हो गया | लड़के को जीवित देख मामा बहुत खुश हुआ और भगवान को धन्यवाद करने लगा | इधर मामा और भांजे दोनों अपने नगर की ओर लौटने लगे |  लौटते हुए रास्‍ते में वही नगर पड़ा जहां  साहुकार के पुत्र का विवाह राजकुमारी के साथ किया था | राजकुमारी के पिता ने उन दोनों को पहचान लिया और घर ले गए | घर पर दोनों की खुब मेहमानी की और राजकुमारी को खुशी खुशी विदा किया |


उधर साहुकार और उसकी पत्नी छत पर  जाकर बैठ गए | उन्होंने यह प्रण लिया यदि उनका पुत्र ठीक ठाक घर नहीं लौटा, तो वह छत से कूदकर मर जाएंगे| 



  तभी लड़के के मामा ने आकर साहूकार को बेटे और बहू के आने का समाचार सुनाया। यह समाचार सुनकर साहुकार और उसकी पत्नी बहुत खुश हुई और उन्होंने अपने बेटे-बहू का स्‍वागत किया। शिव जी ने साहूकार को सपने में दर्शन देकर कहा कि तुम्‍हारे पूजन से मैं प्रसन्‍न हुआ। इसी प्रकार जो भी व्‍यक्ति इस कथा को पढ़ेगा या सुनेगा उसकी समस्‍त परेशानियां दूर हो जाएंगी और मनोवांछ‍ित फल की प्राप्ति होगी।

सावन सोमवार व्रत कथा आरती  (Sawan Somvar Vrat katha Aarti)


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