शनि महाराज की कहानी | shanivar vrat katha | shani dev ki katha

 




इस कहानी के माध्यम से आप जानोगे, कैसे शनि महाराज  एक ब्राह्मण के घर में प्रेम और सुमति को देखकर वापस लौट ग ए |


शनि महाराज की कहानी (Shani Dev ki katha)

एक ब्राह्मण था, उसके सात बेटे, सात बहुएं और एक बेटी थी |ब्राह्मण - ब्राह्मणी अपने परिवार के साथ बहुत सुख और आनंद से रहते थे | एक दिन ब्राह्मण बाजार  में एक किलो  उड़द की दाल और एक किलो नमक लेने गया  लेने गया था | वहां उन्हें शनि भगवान मिलें |ब्राह्मण ने शनि भगवान को नमस्कार किया और पूछा भगवान आप कहा जा रहे हैं, शनि भगवान बोले मैं राजा को लगने जा रहा हूँ| ब्राह्मण बोला भगवन ऐसा मत कीजिये  आप राजा को मत  लगिये - आप राजा को लग गए तो सारी प्रजा दुखी रहने लगेगी | शनि भगवान बोले फिर मैं किसे लगूँ, ब्राह्मण बोला आप मुझे लग जाइएं,


शनि महाराज बोले - सात साल के लिए,
ब्राह्मण- नहीं
शनि महाराज बोले - ढाई साल
ब्राह्मण-  नहीं , सवा पहर के लिए शनि भगवान ने कहा ठीक है|

ब्राह्मण शनि देव को अपने घर ले  गए | उन्हें आसान दिया | ब्राह्मण ने ब्राह्मणी को नमक और उड़द की दाल दी | ब्राह्मणी ने रसोई में जाकर गैस पर उड़द की दाल रख दी और एक मुट्ठी नमक डाल दिया | और नमक की थैली को वहीं रखा छोड़ ग ई, क्योंकि उस दिन शनि देव की दशा चल रही थी | किचन में बड़ी बहु आई, उसने देखा कि नमक की थैली यहीं रखी है, सोचा शायद माँ जी नमक डालना भूल ग ई है, और एक मुट्ठी नमक दाल में डाल दिया, ऐसे ही ओर छ: बहुओं को लगा और उन्होंने भी एक- एक मुट्ठी नमक डाल दिया | आखिर में बेटी उसे लगा मां ने आज दाल में नमक नहीं डाला है, इसलिए नमक का पैकिट यही रखा है, बचा हुआ नमक बेटी ने डाल दिया|


एक किलो दाल में एक किलो नमक

अब  ब्राह्मणी ब्राह्मण और अपने सात बेटे को भोजन परोस दिया, अब ब्राह्मण ने खाना शुरू किया, देखा दाल कितनी कड़वी और जहरीली है, लेकिन ब्राह्मण ने कुछ नहीं कहा वह समझ गया कि शनि देव की साती है, ये बात उन्होंने किसी को नहीं बताई और चुपचाप खाना खा लिया| अब बेटों ने खाया, बड़े बेटे ने सोचा दाल इतनी कड़वी और पिताजी ने कुछ भी नहीं कहा तो मैं क्या कहुँ | ऐसा सोचकर सभी भाईयों ने खाना खा लिया | शनि ने कहा ये क्या किसी ने कुछ नहीं कहा कोई बात नहीं बहुओं को खाने दो, वो कुछ कहेंगी |


ब्राह्मणी, सात बहु और बेटी खाने बैठी

ब्राह्मणी ने खाना शुरू किया, देखा दाल कितनी कड़वी, ऐसा तो कभी नहीं हुआ | इन्होंने और बेटों ने कुछ नहीं कहा | उसने भी चुपचाप खाना खा लिया बहुओं ने खाना शुरू किया और सोचा सास, ससुर और  हमारे पतियों ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप खा लिया| ऐसा ही बेटी ने सोचकर खा लिया |


पूरे घर ने एक किलो दाल में एक किलो नमक बड़ी शांति और प्रेम से खा लिया | ऐसा देखकर शनि देव भगवान बोले जिस घर में इतनी सुमति और शांति हो, वहां से जाना ही चाहिए| शनि भगवान जाते हैं, तो ब्राह्मण कहता हैं, भगवान कहा चले, अभी थोड़ा समय बाकी है |शनि भगवान बोले-  जिस घर में इतनी सुमति और शांति हो, वहां रूककर मैं क्या करूँ |


बोलो शनि महाराज की जय, शनि देव की जय


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